अस्तित्व हर पल बदलता है
अतीत के साए में,
जो छाए है गम के बादल
जिनकीआहट हमें डरा देती है
उन्हें छोड़ आओ समंदर के बीच भंवर में
गहराइयों के चक्रवात में ,
उलझकर कहीं खो जाएंगे लहरो में,
क्योंकि अस्तित्व हर पल बदलता है ।।
आंसू की बूंदों को
जो निंदो को भिगोए
गीला कर देती है मन आसमानों को
छोड़ आओ रेत के घरौंदो में
खुश्क हवा और उड़ती धूल
सूखा देगी इन्हें तपती धरा के आंचल में,
क्योंकि अस्तित्व हर पल बदलता है ।।
चुप्पी से बंधी उदासी को ,
संधी हुई है जो मुस्कुराहटों में ,
जिनकी खामोशी सन्नाटा फैलाए कानों में
उसे छोड़ आओ पत्थरों के खंडहर में
टकराकर हवा के झोंकों से
भर जाएगी गुंजन इसके खालीपन में,
क्योंकि अस्तित्व हर पल बदलता है।।
दिल में बसी हुई आकृति,
मन छैनी से गुदी हुई कलाकृति,
उभर आती है यादों की दीवारों पर ,
जिन की परछाई हमें सताए रातों में,
उन्हें छोड़ आओ लकड़ी के दरवाजों में,
गीली नमी से बढ़ती दीमक
मिटा देगी छपी हुई उन विस्मृत्यों को ,
क्योंकि अस्तित्व हर पल बदलता है।।