अपनी बात से मुकरना आसान तो नहीं
दूरियां बढ़ीं है पर बदली जुबान तो नहीं
अब हो गई है हमारे बीच भले ही रांजिशे
हंस के मिलने में कोई नुकसान तो नहीं
हम दोनों को जो मिला वो हमारा नसीब
उस पर यूँ इतराने में कतई शान तो नहीं
यह जो बिन बात ही तुम मुस्कुराते हो
दिल पर लगी चोट का निशान तो नहीं
महफिलों में जाने से क्यूँ कर कतराना
प्यार ही तो खोया अपना ईमान तो नहीं
जितनी शिद्दत से निभाई तुमने जुदाई
मायूस जरूर हैँ पर परेशान तो नहीं
गले लग के रोने में है यह कैसी झिझक
इंसान ही तो हो कोई भगवान तो नहीं