कहाँ चले जा रहे है ? कही तो जा रहे है – नहीं है खबर
क्या चाहते है ? पता नहीं – कुछ न कुछ तो मिलेगा मगर
ऐसी ही उहा-पोह में जूझता, बढ़ा जा रहा है
मंज़िल की तलाश में, ये दिल का मुसाफिर चला जा रहा है
आज उम्र के इस पड़ाव पर सोचा, कुछ रुक कर, जरा सा हांफ ले
थोड़ा सा थम कर, जिंदगी की रफ़्तार को भांप ले
वो गालियां, वो मोहल्ला, वो शहर, वो देश – सब पीछे छूट गया
किश्ते और रिश्ते सँभालते-सँभालते, कभी लगता है – कही कुछ टूट गया
कितने ही साथ चले थे मेरे, और अब कितने है साथ
बहुतो ने छोड़ दिया, और कुछ ने अभी भी थामा हुआ है हाथ
कुछ ऐसे भी थे, जो सफर में मिले और फिर जुदा हो गए
कुछ तो अब याद भी नहीं, और कुछ खुद के खुदा हो गए
यूँ तो बहुत कुछ मिला है, पर कुछ ख़्वाब भी टूटे है
कभी हमने मनाया, कभी जिंदगी ने हमें, पर कुछ है जो आजतक रूठे है
इंतज़ार नहीं है, बस चलते चलते कभी यूँही पलट कर देख लेते है
क्युकि जाने वाले, कभी लौट भी आते है, ऐसा कुछ लोग कहते है
कभी कुछ गलतफहमियां, तो कभी कुछ अपनो से शिकवे गिले
और तकलीफ भी वहां सबसे ज्यादा हुई, जहा जख्म बिना कुसूर के मिले
जो बीत गया, उस पर गम नहीं
जो मिल गया, वो किसी से कम नहीं
अभी तो कुछ यूँ है – कि तूफ़ान में है कश्ती, पर किनारा पास आ रहा है
आपकी दुआओ के सहारे, ये दिल का मुसाफिर चला जा रहा है
Brilliant Vishwas Ji!
Toooo good Vishwas! Very touching and meaningful…bahut hi khoob
What a brilliant poetry.
These lines are brilliant especially the last one:
कुछ ऐसे भी थे, जो सफर में मिले और फिर जुदा हो गए
कुछ तो अब याद भी नहीं, और कुछ खुद के खुदा हो गए
Too good.. these lines are lovely..
कभी हमने मनाया, कभी जिंदगी ने हमें, पर कुछ है जो आजतक रूठे है
इंतज़ार नहीं है, बस चलते चलते कभी यूँही पलट कर देख लेते है
Beautiful composition Vishwas, keep it up