जिंदगी में कुछ पाना है, तो अंदर एक आग चाहिए
आसमां में फैले सितारों में, मुझे अपना भाग चाहिए
अभाव और गर्दिश में, बन पड़ते हैं कुछ ऐसे गीत
दुनिया झूम उठे जिस पे, मुझे ऐसी एक राग चाहिए
जिन्होंने भूख कभी जानी नहीं, वो दे रहे हैं मुझे ज्ञान
तुम्हे पता क्या कि मेरे अरमानों को बहुत त्याग चाहिए
मुबारक हो तुम्हें, तुम्हारी हसीं दुनिया की चकाचौंध
मुझे इस छोटी कुटिया में, बस इक चिराग चाहिए
हैं तुम्हारे लिए विकल्प कई, मेरी तो सिर्फ ये किताबें
जब तक न मिले मंजिल, मुझे तो सिर्फ वैराग चाहिए
जूझने का है इरादा पूरा, और हैं मेरे हौसले मजबूत
अपने द्वेष से दूर रखना, मुझे न कोई अनुराग चाहिए
गुज़ारिश है कि जब मैं जीत जाऊं, तो इतना करना
न चलना कोई चाल, मुझे अपना हक़ बेदाग़ चाहिए
(ये रचना ‘खिलते हैं गुल यहाँ’ में प्रकाशित हो चुकी है)
kya sahi likha hai bhai !!