बारिश
बारिश, ज़ब होती है, धरती झूमने लगती है
खिलते है चेहरें सबके, चारो ओर हरियाली छाह जाती है
महकतें है आँगन के फूल, तितलियाँ रस पान को आती है
भवंरा घूमें चारो ओर, चीटियां पगडंडी वाली राह बनाती है
बारिश ज़ब होती है, धरती झूमने लगती है
भीगते है तन और मन, प्रेम चढ़ता है तब परवान
खिलते है दिल के फूल, बातें होने लगती है
कुछ बंधन बनने लगते है रिश्तों में मिठास घुलने लगती है
बारिश जब होती है, धरती झूमने लगती है
मिट्टी कि सौंधी सौंधी खुशबू से मन महक जाता है
छप छप की आवाज , कानो को अच्छी लगने लगती है
तन मन बच्चा बन के खेलने लगता है, तब मिलती है सच्ची खुशी,
हँसते है हम खुल के, जब मेघ भी बरसने लगते है कोयल भी गीत सुनाने लगती है
बारिश ज़ब होती है, धरती झूमने लगती है
दोस्त
दोस्त कहो या मित्र, बात है इनकी निराली
दिल का बोझ हल्का कर दे पल भर में, ला दे चेहरे पे हंसी बड़ी,
दोस्त कहो या मित्र बात है इनकी निराली
दिल बिना कुछ सोचे समझें, बिना हिचकिचाये कह जाता है सब कुछ इनसे,
एक भटके हुए मन को ठहराव मिल जाता है, दिल को सुकून मिल जाता है
कुछ तो अनोखा बंधन है जो कर देता है हर कमी पूरी
दोस्त कहो या मित्र बात है इनकी निराली
ये रिश्ता ही एक ऐसा रिश्ता है जो इंसान को खुलकर हँसाता है जीना सिखाता है,
दिल के सारे गम भुलवाता है ये ना रहे तो है जिंदगी अधूरी
दोस्त कहो या मित्र बात है इनकी निराली
Nice
Thanks
Very nice poem rasmi ji…..esi hi apki aur kavitao ka intazar….barish ke mausam me barish pr kavita..wah wah kya bat hai…
Nice poem di….
Bahut he khoobsurat lines likhi h apne
Thnk u chote
Thank u sweta ji
Wah… It’s good to see you here.
Creative thoughts, it’s beautiful peom, keep it up Rashmi.
हैलो ! रश्मि मित्र ! वैसे तो आपकी दोनों कवितायें सराहनीय हैं ॰ लेकिन ‘ बारिश ” शीर्षक कविता अधिक सारगर्भित और सटीक है | आपका लेखन वाकई अच्छा है | इसे निरंतन जारी रखिएगा | सादर !
Dhanywaad आप सब का
सुक्रिया मित्रो,,,, दुर्गेश जी और अमित जी… आप ही लोगो से सीखा है शब्दों को पिरोना