चाहिए बड़ी गाड़ी, बड़ा घर
और हर बड़ी चीज पर नजर
नौकरों की भी बड़ी फ़ौज हो
रोज नयी पार्टियों की मौज हो
चमकते झूमर दमकते कालीन
सब चकाचौंध और सब रंगीन
सब कुछ बड़ा, सब कुछ नया
पैसा ये आया और झट वो गया
ऐसा जीवन अमूमन सब चाहते हैं
चाहें वो भले, पर क्या सब पाते हैं
मेहनत और किस्मत दोनों चाहिए
तभी सबकुछ ऐशोआराम पाइये
कुछ उधार को मानते हैं रास्ता
मेहनत से नहीं दूर दूर का वास्ता
घर लिया है किश्तों में
तनाव पाला है रिश्तों में
जो गाडी भी है लोन पर
उधार चढ़ा है फोन पर
पैसे लेकर लौटाए नहीं
कई कर्ज चुकाए नहीं
परिवार की भी ये सब्जबाग दिखाओ
उनको भी समृद्धि की आदत लगाओ
समझाने से समझते नहीं कोई बात
पता ही नहीं क्या सही है औकात
बात समझ नहीं आती ये सादी
उधार करता है घर कि बर्बादी
हसरत और हासिल में इतना रखो अंतर
पसंद हो बहुत कुछ पर चाहतें हो कमतर