निगाहें झुकाना तेरी हसीं मुस्कान वग़ैरा
कुर्बान तेरी अदाओं पर मेरी जान वग़ैरा
जो किया हमने बस तेरे इश्क में किया
ना कहो उस सबको अब एहसान वग़ैरा
किसी के सामने फैला नहीं हाथ आजतक
तेरे सामने सूझता नहीं कोई सम्मान वग़ैरा
जो हुआ दोनों का था बराबर ही सा कुसूर
इक को सजा दूजे पर क्यूँ मेहरबान वग़ैरा
देख लो ख़ुद को अगर हमसे छुपा सको
तेरे ही कूचे में मिलेंगे बन मेज़बान वग़ैरा
वादा ये कर कि मिले तो भी न पहचानेंगे
काबू में रखेंगे अपनी नजरें जुबान वग़ैरा
इक दूजे की छाया में कब तक जिएंगे हम
चलो बन जाएँ हम फिर से अनजान वग़ैरा