मन में आये भाव बोल दिए
सीने में थे राज खोल दिए
एहसास जगे तुक मिलायी
अनेक रसों की बहार आयी
कभी लिखा श्रृंगार तो कभी वीर
कभी पात्र शिवाजी, कभी राँझा-हीर
फलसफा कहा तो कभी इश्क, मनुहार
एक ही बात कहने के हैं तरीके हज़ार
कभी लोगों को हंसाया कभी आँखे भर आयी
कभी रंगीन मिजाज तो कभी संजीदा सुनाई
अल्फाजों के छौंक जज्बातों का तड़का
साधारण सी बात को अदाएगी से चमका
सुना दी कविता, कविता ही तो है…
कविता मेरे लिए है भावनाओं का दरिया
शौक है ये नहीं कोई कमाई का जरिया
बहुत किया है हासिल, सिर्फ कविता का सहारा नहीं
प्रसिद्धि को इसे बैसाखी बनाने का तरीका हमारा नहीं
ज्ञान मानो या न मानो मैं सलाहकार नहीं
इश्क़ पर लिखा पर मुझे तुमसे प्यार नहीं
मेरी हर कविता मेँ न ढूंढो मेरी कहानी
कुछ असल था कुछ ख्याल कुछ रूहानी
जरुरी नहीं सब कुछ मैं खुद पर बिताऊं
तभी कोई कविता या गीत लिख पाऊं
अच्छी लगी आपको तो फिर सुनाऊंगा
नहीं पसंद आयी तो यहाँ नहीं आऊंगा
इतना क्या सोचना, कविता ही तो है…
कल-कल बहती नदी सा कविता को बहने दो
बिना सकुचाये मुझे आज जी खोल के कहने दो
मुझे जो सबसे ज्यादा पसंद है, कविता ही तो है…
Kavita hi to hai….bahut khub