https://youtu.be/lL0D5jfHXQw
सालों बाद एक महफ़िल में, उनसे मुलाकात हो गयी
मुद्दतों से था जिसका इंतज़ार, आज वो बात हो गयी
मिले गैरों की तरह – नजरें चुराते, नजरें मिलाते हुए
तकल्लुफ भरी बातों में, इधर उधर ध्यान सा हटाते हुए
वो कहते थे कि हम हर बार मिलते हैं, पहली मुलाकात हो जैसे
यूँ वो रूह में हमेशा थे, फिर भी बेतकल्लुफी लाएं तो कैसे
हर तरफ से ज़माने की पैनी निगाहों का पहरा
जज्बातो का उठता-थमता वो तूफान सा गहरा
वो रुक रुक के देखना, एक दूसरे के पके हुए बालों का
वर्तमान को देख, अंदाजा लगाना बीते हुए सालों का
एक लम्हा मुस्कान, अगले ही पल भाव बदल जाना
यकायक ही निगाहों का, इधर से उधर सरक जाना
फिर कनखियों से देखना, उनको उनके अपनों में
और तुलना करना, जो देखा था – कभी सपनों में
सालों पहले का वो मिलना, और ये भी खूब मुलाकात हुई
इंतजार था जिस लम्हे का मुद्दत से, उस की ये क्या बात हुई
अपनी अपनी राहों पर हम दोनों बढ़ चले
एक बार पलट देखा, शायद फिर मिले न मिले
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