सूरत वही है आपकी
सीरत बदल गयी
मूरत बना के जिसको रखा
फितरत बदल गयी
बुलंदियों के दौर में
तेरे वादे हजार थे
दामन चाक -चाक अब
नीयत बदल गयी
शिकवे शिकायतें तेरी
सुनते थे रात भर
मसरूफ तुम ऐसे हुए
उल्फत बदल गई
दुनिया के सवालात का
देते रहे जवाब
खाई है ऐसी चोट अब
तबीयत बदल गयी
उम्मीद ये हमें थी
रहेंगे सुकून से
हमसे बिछड़कर उनकी
किस्मत बदल गयी