चाँद से आज मेरी तकरार हो गयी
उसे अपनी चांदनी पर गुरुर था
अपनी चमक पर वो मगरूर था
जो मैंने तेरी बेदाग तस्वीर दिखाई
तेरी हसीन शक्ल उसे नजर आयी
खिसिया कर वो हो गया यूं बेक़रार
और आखिर हो गयी चाँद से तकरार
दूर से ही सब उसे निहारा करते हैँ
उसकी मिसालें देकर आहें भरते हैँ
जब पता चला उसे हूं मै तेरा दीवाना
तुमसे दूर रहकर भी शिद्दत से चाहना
अपनी जलन छिपा न पाता वो हरबार
और इसी बात पर हुई चाँद से तकरार
मैंने कहा मेरा सन्देशा तुम तक पहुँचाना
कब आओगे ये तुमसे पूछ कर आना
बिन बोले वो छिप गया बादल की ओट में
कैसे सह पाता उसकी उपेक्षा की चोट मैं
तारों से की शिकायत चांदनी से लगाई गुहार
बात से बात बढ़ी और चाँद से हुई तकरार
देखें अब कब तारे सुलह कराएँगे
और हम दोनों को चांदनी मनाएगी
इश्क़ के दौर में हमने ये न सोचा था
चाँद से तकरार की नौबत आएगी
lovely interpretation
Super
Nice