फ़ितूर
ज़िंदगी के इस सफ़र में जो रह गया है पीछे,वो है फ़ितूर हमारा
ज़िंदगी की ज़िम्मेदारियों के बोझ में जो रह गया है पीछे,वो है फ़ितूर हमारा
ज़िंदगी की चकाचौंध में जो रह गया है पीछे,वो है फ़ितूर हमारा
ज़िंदगी की दौड़ में इस कश्मकश के दौर में जो रह गया है पीछे,वो है फ़ितूर हमारा
कब समझेंगे हम, फ़ितूर ज़रूरी है हमारा
ज़िंदगी को जीने के लिए,जिंदगी में झूमने के लिए,
ज़िंदगी को राग देने के लिए, ज़िंदगी को साज देने के लिए
ज़रूरी है,हमारा फ़ितूर ज़रूरी है
फ़ितूर हर उस चीज़ को पा लेने के लिए,फ़ितूर हर शख़्स को टूट कर चाहने के लिए,
रिश्तों में गहराई के लिए ,परछाई सा साथ निभाने के लिए,
रिश्तों में प्यार की गर्माहट लाने के लिऐ,फ़ितूर ज़रूरी है हमारा,
ज़रूरी है,हमारा फ़ितूर ज़रूरी है
चाँद सी शीतलता नदी सा ठेहराव, सूरज से प्रकाश और कुछ कर लेने की आग,
हमारे ख़यालों के लिए,जीवन में क़ाबू पाने के लिए,
ख़ुद पर यक़ीन दिलाने के लिए ,जीवन के हर मोड़ पर खुद को संवारने के लिए,
जीवन गरिमा मय बनाने के लिए ज़रूरी है,हमारा फ़ितूर ज़रूरी है,
उज्ज्वल भविष्य के लिए फ़ितूर चाहिए ,ऊँचे शिखर के लिए फ़ितूर चाहिए,
जीवन में कुछ करने के लिए फ़ितूर चाहिए, खुल-कर जीने के लिए फ़ितूर चाहिए,
जीवन को ज़िंदा रखने के लिए फ़ितूर चाहिए ,उसमें नूर भरने के लिए फ़ितूर चाहिए
फ़ितूर ना हो तो जीना कैसा, ज़रूरी है, हाँ हमारा फ़ितूर ज़रूरी है
गुरुदेव
गुरुदेव के चरणों में शिष्यों का प्रणाम,
गुरुओं के आशीष से मिलते है परिणाम
जीवन को जीने की कला गुरु सिखाते है,
शिष्यों के जीवन में मार्गदर्शन करवाते है
मुश्किल परिस्थितियों में धैर्यता का पाठ पढ़ाते है,
जीवन की हर मुश्किल में समाधान दिखाते हैं
गुरुदेव के चरणों में शिष्यों का प्रणाम,
गुरुओं के आशीष से मिलते हैं परिणाम
अपने हर शिष्यों को एक अच्छा इंसान बनाते है,
सही और ग़लत की परख गुरु सिखाते है
सत्य और झूट के अंतर को बतलाते है,
धर्म और कर्म के महत्व को समझाते है
गुरुदेव के चरणों में शिष्यों का प्रणाम,
गुरुओं के आशीष से मिलते है परिणाम
गुरु से ही सीख रहे है,गुरु से ही जान रहे है,
इस जग में रहने वालों को,गुरू महिमा से पहचान रहे है
नहीं सूझता जब कुछ भी याद हमें आप आते है,
डूबीं हुयी नैय्या को ज्ञान से पार लगवाते है
गुरुदेव के चरणों में शिष्यों का प्रणाम,
गुरुओं के आशीष से मिलते हैं परिणाम
गुमनामों के अंधेरो में पहचान बनाते है,
संकट की घड़ियों में हँसना हमें सिख़ाते है
डगमगाते हुये पथो में विश्वास जगाते है
अपने शिष्यों को आत्मबोध करवाते है
गुरुदेव के चरणों में शिष्यों का प्रणाम,
गुरुओं के आशीष से मिलते हैं परिणाम
अपने हर शिष्य के हृदय में राज छिपाते है,
पग पग पर जीवन में परछाईं सा साथ निभाते है
गुरु कृपा से शिष्य ग़मों में भी ख़ुशियाँ पाँतें है,
गुरू कृपा से जीवन में ज्ञान के दीप जल जाते है
गुरुदेव के चरणों में शिष्यों का प्रणाम,
गुरुओं के आशीष से मिलते हैं परिणाम
तपती हुयी धूप में गुरु शीतल सी छाँव है,
कड़ाके की सर्दियों में गुरू सूर्य का प्रकाश है
चलती हुयी आँधियों में बनकर खड़े चट्टान है,
तेज बारिशों में भी छत्रछाया के समान है
गुरुदेव के चरणों में शिष्यों का प्रणाम,
गुरुओं के आशीष से मिलते हैं परिणाम
सर्वप्रथम गुरुओं में माता का स्थान है,
गुरु हमारे जीवन में माता-पिता के समान है
गुरु मोक्ष का द्वार है जीवन का सार है,
कलियुग में इस धरती पर साक्षात हरि का अवतार है
गुरुदेव के चरणों में शिष्यों का प्रणाम,
गुरुओं के आशीष से मिलते हैं परिणाम
जिदंगी की किताब
जिदंगी की किताब खाली सी क्यूँ लगती है,
हसीन दिन होते हुये भी
परेशानीयाँ सी क्यूँ लगती है
यादें इतनी प्यारी है
पर बेगानी सी क्यूँ लगती है
जिदंगी की किताब खाली सी क्यूँ लगती है,
सोचती हूँ जब
अधूरी कहानी सी क्यूँ लगती है
कितने ही पन्नों पर इसके
दर्द भरी ज़ुबानी सी लगती है
जिदंगी की किताब खाली सी क्यूँ लगती है,
क्यूँ पूछ रही हूँ खुद से मैं
मेरी ही किताब इतनी बेगानी सी क्यूँ लगती हैं
घूर रही हूँ खुद को ही मैं
जैसे खुदको सिर्फ़ आज अनजानी सी लगती हूँ
जिदंगी की किताब खाली सी क्यूँ लगती है,
रिश्ते जो है सबसे
बेगाने से लगते है
क्या चाह रही हूँ खुद से मैं
जैसे खुद पता ही नहीं हैं
जिदंगी की किताब खाली सी क्यूँ लगती है,
इसके कुछ-कुछ किस्से
पढ़ने मुश्किल लगते हैं
इसके कुछ-कुछ पन्ने
फटे मेले और कुचेले दिखते हैं
जिदंगी की किताब खाली सी क्यूँ लगती है,
क्यूँ इस किताब को
मैं फिर से लिखना चाहतीं हूँ
बिगड़े हुये पलों को
संवारना चाहतीं हूँ
जिदंगी की किताब खाली सी क्यूँ लगती है,
इसके फटे मेले और कुचेले पन्नों को
चमकदार बनाना चाहती हूँ
इसके हर किरदार में
रंग और प्यार भरना मैं चाहती हूँ
जिदंगी की किताब खाली सी क्यूँ लगती है,
जिदंगी की इस किताब में
अपनी हर चाहत को इसमें सहेजना चाहतीं हूँ
शक्ति और भक्ति की एक नई जान जगाना चाहती हूँ
इसकी हर हालात में पहचान बनाना चाहती हूँ
फिर कहना चाहती हूँ
जिदंगी की किताब बड़ी प्यारी सी लगती है,
देखती हूँ जब जब इसको मैं
बड़ी खुशी मुझे मिलती है
जिदंगी की किताब बड़ी प्यारी सी लगती है,