आने वाला साल
गुजरे साल को अलविदा कह
मुस्कुरा उठा आने वाला साल
तुम हिस्सा बन बैठे कल का
मैं आज के सपने बन बैठा
तुम किस्से कहानियों में शामिल,
मैं उम्मीद नव सृजन की रखता
आगाज़ किया था जो तुमने
उसका न रखना कोई मलाल
मुस्कुरा उठा आने वाला साल
इक और युग बीत चला
जीवन मंत्र की मृगतृष्णा में
कब वक़्त का पहिया घूम गया
सुख – दुख की आंख – मिचौली में
उठो, मिटा दे अंधियारा
समय चक्र बदलने तक
हो होंसले इतने बुलंद
सपनों पर उठे न कोई सवाल
मुस्कुरा उठा आने वाला साल
मेरी हिन्दी मेरा अभिमान
इक मां के हैं बहुत बेटे
बस एक ही बेटी है हिन्दी
वो नाजों से पली बढ़ी
सुसंस्कृति साथ निखर चली
इक दिन इक लड़की सकुचाई
द्बार मां संस्कृति के आई
मां मुझे भी अपनी शरण में लो
कुछ दुख मेरे भी मां हर लो
मां थी सबकी मना कर न सकी
आंचल में अपने शरण भी दी
वो बेटी अंग्रेजी कहलाई
मुंहबोली बन कर इठलाई
भाईयों को बना लिया अपना
पूरा मुझसे ही हर सपना
हिंदी को उसने पीछे छोड़ा
मुख पृष्ठभूमि से भी मोड़ा
अब हर तरफ अंग्रेजी छाई
वो भाईयों से नाता तोड़ आई
बोली तुम भाई हिंदी के
मेरी होड़ कहां करते
अब भाई शर्मशार हुए
अपने अस्तित्व को निकले
बोले मां हमसे भूल हुई
नादान थे पथ पर थे भटके
मां तुम हो विशाल हृदय
हमारा फिर से करो विलय
हम हिस्सा हैं तेरी संस्कृति का
सर्वधर्म भूला बैठे थे अपना
हिंदी फिर से मुस्कराई
भाईयों के शिकवे भूल आई
हंसते भाई सब बोल पड़े
स्वाभिमान हमारा हैं हिन्दी
अभिमान हमारा हैं हिन्दी
हिंदी -हिन्दू – हिंदुस्तान
हिंदी ने रखा अंग्रेजी का भी मान
हिन्दी से सुसंस्कृत होकर
अब महक रहा हिन्दुस्तान
मेरी हिन्दी मेरा अभिमान
सपनों की गुफ़्तगू
पलकों के सपनों की कैसी गुफ़्तगू………
कौनसी डगर, पथ कैसे मैं चुनूं??
सपने कभी खामोश हो जाते हैं,
पलकों से अक्सर नींदें चुराते हैं,
दिन के उजालों में इनमें रंग भरूं,
छोटी सी हैं सपनों की आरज़ू।
चाहतों की हर उड़ान मैं भरूं…………
पलकों के सपनों की कैसी गुफ़्तगू……..
परियों की कहानी सुनाती थी नानी,
चुपके से आ जाती थी निंदिया रानी,
अब ख्वाबों की बातें किससे कहूं…….
पलकों के सपनों की कैसी गुफ़्तगू………
मुट्ठी में भर लूं सपनों का आशियां,
मुस्कुरा के करूं मैं मुश्किलों का सामना,
लंबी हैं डगर अब दौड़ कर चलूं……..
पलकों के सपनों की कैसी गुफ़्तगू………
खुशियां बांटने के बहाने हो हजार,
दोस्तों संग महफ़िल सजे बार-बार,
झोली भरी खुशियों की चाहत हैं बांट दूं….
ग़म सारे अपनों के अपने नाम करूं……..
पलकों के सपनों की कैसी गुफ़्तगू………
मुस्कुराने लगी ख्वाहिशें
मुस्कुराने लगी ख्वाहिशें
रास्तों के उतार चढ़ाव से…….
होंसले स्वयं निखरने लगे
संघर्ष से जंग हार के….…..
अंधेरे छंटने लगे हैं क्यूं
अब इक दीप के प्रयास से……..
कर हिम्मतें तु खुद से ही,
और ख्वाब भी तराश लें
प्रश्नों के भंवर से निकलते
विरले जवाब सर्वाधिकार से
रूकती नहीं हैं कश्तियां
तूफां से जंग हार के
मुस्कुराने लगी ख्वाहिंशें
स्वाभिमान तु संवार लें
तिमिर घनेरा छंटने लगा
इक दीप के प्रयास से
मानव वहीं जो जग में
मानवता को संवार दें
मेरे हौसलों का आसमां
मुट्ठी भरे सपनों के साथ,
उम्मीदों ने भरी उड़ान
बाधाओं से सीखा मैंने,
बुलंद इरादों से छूना है,
मेरे हौसलों का आसमां
केसरी आभा से अभिमंडित,
हो ये नीला गगन
श्वेत कमल सा प्रफुल्लित
हो जीवन का मंत्र#
पाषाणों में प्रखरित होते
जीवन नवप्रस्फुटन
संघर्ष पथ पर अग्रसर
हो मेरी ये कर्मसाधना
बुलंद इरादों से छूना है,
मेरे हौसलों का आसमां
चलो इबादत करें
चलों इबादत करें,
नित नव प्रभात की…….
राष्ट्र हित को समर्पित,
अब आत्मसात् भी…….
आजादी के दीवाने,
सर पर बांधे हुए कफ़न
कुछ सपनों को,
कुछ अपनों को
स्वयं कर आये थे दफ़न
दौड़ पड़ते शूरवीर,
सुन मां की करूण पुकार भी
चलो इबादत करें…….
उस कष्ट प्रवास की………
चिंता नहीं चिन्तन करें,
द्वेष छोड़ उद्देश्य रखें,
पाषाणों में प्रखरित ,
वंदना पुरुषार्थ की..…….
चलों इबादत करें,
वसुंधरा पुकारती …………..
चलों इबादत करें,
वसुंधरा पुकारती……..
मन खट्टा हो गया
चल रे मनवा दूर कहीं
अब जग बैरी हो गया
न जाने किस डगर चलूं?
अब मन खट्टा हो गया
प्रश्न पूछती निगाहें
ढूंढने जवाब जब चली
इंसानों की बस्ती में ये
कैसी अब हवा चली
ओढ़ चादर शाम की,
थक कर सूरज अब सो गया
रंग बदलती दुनिया से,
अब मन खट्टा हो गया
जिंदगी के सुख – दुख सांझें
ऊंची उड़ान ले उलझते मांझें
कटी पंतगो सा ये जीवन
न जाने किस ओर चला
बचपन का वो अल्हड़पन
जिम्मेदारी की चादर ओढ़ गया
रंग बदलती दुनिया से अब
मन खट्टा हो गया
सच मे आपकी कविताए एक खाश असर छोड़ देती है पढ़ने वाले के मस्तिष्क मे। आप सच में एक अच्छी कवियित्री हो.।
Amazing 👌👌👌
Very nice mem…..
अच्छी कविता है मैडमजी
अद्वितीय अद्भुत लेखन
Bahut hi behtarin rachana🥀❣️
लाजवाब शानदार! आज तो बहुत रचनाएं दिल को छू गई। दिल को छू गई।
The way you use to write on your topic with such beautiful words is just motivating.
Amazing poem💐
Very very nice ma’am 🥰
Bilkul aap ki kavita mam dil ko chuh leti hai
You always write so inspiring, ma’am……..
Atti sundar mam… 👍👍
You have done a great job ma’am ..keep writing to enlighten the society and people around you ..your poems are truly an inspiration !
आपकी कविताएं बहुत ही प्रभावशाली है । उम्मीद और प्रयास है ये ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुंचे ।
Finally your talent has found the right place🤟🤟
Finally your talent has found the right place🤟🤟 Nice lines
अद्भुत रचना 🌼
Amazing written indeed..❤️
Dil ko chu lene wali rachnaye 😍😍
शब्द वहीं जो जुड़कर भावनाओं को छू लें
बिन बोले बिन कहे जज़्बात को छू लें
कोई रंग नहीं कोई किरदार नहीं
बदले स्वरूप पर सवाल नहीं
रास्ते मुश्किल है तो क्या,
चलो साथ मिलकर मंजिल को छू लें
Beautiful lines👌👌 Heart touching 😇