बावरे मन के तराने अच्छे होते नहीं है
नित नए फ़साने अच्छे होते नहीं है
इस आस पर की वो आ जाएंगे अभी
हम ऐसे हुए दीवाने की अब सोते नहीं है
बावरे मन के…..
जो बेवजह ही न हुई, वो दोस्ती कैसी
किसी वजह से करी, तो है वो सौदे जैसी
यारी तो वो यारी है , जिसमें महका करें हम
शक-ओ-शुबह के ठिकाने अच्छे होते नहीं है
बावरे मन के…..
हसरतों का क्या है, कोई अंत ही नहीं
माना की यहाँ बैठा कोई संत भी नहीं
मृगतृष्णा सी है ये जिंदगी की चाहतें
ऐसी प्यास के पैमाने अच्छे होते नहीं है
बावरे मन के….
तुम वो सुनते रहे जो हमने बोला ही नहीं
हम वो बुझे राज जो तुमने खोला ही नहीं
गलतफहमियों को बढ़ाने से हमें क्या फायदा
झूठे इश्क़ के बहाने अच्छे होते नहीं है
बावरे मन के……
महफ़िल में मिले तो तुम नजरें चुराते हो
आदाब जो करें तो बस आँखे हिलाते हो
चोरी करी है तुमने या फिर प्यार किया है
ऐसे आशिकों के चेहरे अच्छे होते नहीं है
बावरे मन के……
मेरी यादों की दुनिया में तेरे ख्वावों की बस्ती है
पर तेरे प्यार के बाजार में बेवफाई ही सस्ती है
अब तो हर हसीं चेहरे से यूँ लगने लगा है डर
जिनको सब अच्छा कहें , वो अच्छे होते नहीं है
बावरे मन के……
(ये रचना ‘खिलते हैं गुल यहाँ’ में प्रकाशित हो चुकी है)
Very nice bhai ji
Thanks !!
Very nice bhaiya
Aap to bahut achche kavi hain
Ever romantic ..nice soft feelings that came out beautifully
Very nice!!
Very nice . Romantic feeling put in a very simple and nice words
It’s really too good sir….. reminded me of college days ….