बहुत बार
बहुत बार,
सोचा मैंने कि कह दूं अपने दिल की बात…!
बहुत बार,
चाहा मैंने की जता दूं अपने होने का एहसास..!
बहुत बार
कहा मैंने अपनी अनकही प्यास..!
बहुत बार,
देखा मैंने अपनी डूबती हुई आस..!
बहुत बार,
समझा मैंने तुम्हारे बदलते एहसास …!
बहुत बार,
महसूस किया मैंने तुम्हारे खामोश जज्बात..!
बहुत बार,
संजोया मैने दिल ही दिल में सैकड़ों ख़्वाब..!
बहुत बार,
सजाया -संवारा , हमारे घरौंदे – हमारा ख्वाब..!
बहुत बार,
किया मैने उस वक्त का बेसब्री से इंतजार..!
कि
आओगे तुम, छुओगे तुम
कहोगे तुम, समझोगे तुम
यही वक्त है ..सही वक्त है..
बस जान लो तुम, बस मान लो तुम..!
कर लो पूरी अपने दिल की आस..बहुत बार..बहुत बार…बहुत बार..!!!