लाचार
मै लाचार होती गई और तू देखता गया।
प्यार मुझे भी था बहुत
शायद कभी जता ना पाई
सच कहूं, सच कहूं तो भुल जाऊ तुझे
ये आज तक खुद को समझा ना पाई।
हालांकि जब हम रिश्ते में थे
हालांकि जब हम रिश्ते में थे
तेरा पलडा हमेशा भारी था
इससे पहले मै कुछ कहती
तू बहुत कुछ कह जाता था।
वैसे तो मै हूं फास्ट बहुत
वैसे तो, मै हूं फास्ट बहुत
पर प्यार में थोड़ी धीमी थी
बाहर से हूं सख्त बहुत ..
बाहर से हूं सख्त बहुत
पर दिल से थोड़ी भोली थी।
कुछ बदला नहीं है आज भी
कुछ बदला नहीं है आज भी
मै वैसी की वैसी ही हूं
समेटे है कई रिश्ते खुद में
पर तेरी चाह है आज भी।
जुदा होने की पहल…
जुदा होने की पहल की तो थी मैने है
कंधों पर थी मजबूरियां, पैरो में थी बेड़ियां।
मगर तूने भी कहा नहीं,
मगर, तूने भी कहा नहीं
मत जाओ मेरी जिंदगी।
इतना भी क्या तू सख्त हुआ
इतना भी क्या तू सख्त हुआ
मै लाचार होती गई
और तू देखता रहा।
कोरोना
क्या कहें तुम्हारा कहर,
क्या विकसित, क्या विकासशील देश,
किसी को नहीं बख्शा तुमने बेअसर।
त्राहि – त्राहि से अस्तव्यस्त है
देश, विदेश, गाँव,शहर,
प्रभावित है हरेक प्राणी,
कोई ना रहा अप्रभावित, बेफिकर।
आगे बढ़ने की होड़ में
लगे है प्रकृति से करने छेड़छाड़
बेहतर होगा, बनाए रखो संतुलन और मेलमिलाप
रचनाकार तो वो ही है, विज्ञान तो है महज़ एक खोजकार।
भारत ने अथाह कोशिश की
अपनी अखंडता और एकता
बनाए रखने कि फिर एक बार
अतिशयोक्ति नहीं होगा ये कहना
मनुष्यता ने दिखाया है
इंसानियत का एक अद्भुत नमूना।
अब आ ही गए हो
तो नहीं करेंगे तुम्हारा तिरस्कार
अतिथियों को सम्मान देना
यही है हमारा संस्कार
मगर, डरेंगे नहीं,
चिकित्सा पद्धति सबसे पहले आयी थी इसी पार।
बहुत मुश्किलों से समेटा है इस देश को
पलट कर देखो एक बार इतिहास को
डट कर करेंगे सामना तेरा फिर एक बार
यूं ही कुछ नसमझो के खातिर,
नहीं होने देंगे तुझे बिखर कर बेकार।
दुआ करते है उस ईश्वर से, अलाह से
निवारण कर दे इस दुख से फिर एक बार
ले लो अपनी आगोश में ईश्वर
सचमुच तेरे आशीर्वाद की बहुत जरूरत है इस बार।