इश्क़ किया है मैंने तुमसे, पर तुमसे कोई दरकार नहीं ये कुछ जुदा सा, अलग सा है इसमें कोई इज़हार-इक़रार नहीं तेरी बंदिशें, तेरी मजबूरियों के बहाने इसके बीच, मेरा इश्क़ क्यों मुर्दा रहे जब रब की तरह तुझे चाहने लगे हैं तो बन्दों से फिर क्यों पर्दा रहे उस रोज मैंने, आसमां को देख…