आखिरी दिन
तू मिला भी तो जिंदगी के इस मोड़ पे
जब जिंदगी ही कुछ पल की ही है बची
अब जाके जी रहा हूँ इन पलों को मैं
जाने कब से इस दिल को एक साथी की तलाश थी
जो ना जिया बरसों में कभी
आज उस हर लम्हे को तुने रंगीन कर दिया
जो आशाएं थी दिल के कोने में पड़ी
उन आशाओं को तुने जिंदा कर दिया
क्यूँ इतनी देर लगी तुझे आने में
कब से एक दोस्त की आस में था
कितना कुछ था कहने और सुनाने को
पर कोई भी मेरे पास ना था
ऐ खुदा , क्यूँ दी तुने मुझे जिंदगी पल भर की
यह लम्हा जीने के लिए कम न पड़ जाये
अभी तो मिला एक साथी मुझे
कहीं जाते जाते दिल में मलाल न रह जाये
ऐ मेरे साथी , न रोना मेरे जाने पे
मुट्ठी भर ही सही , जिया तो है मैंने
इस जिंदगी में कोई कमी न छोड़ी तुने
मरने से पहले हर लम्हा जी लिया है मैंने